न्याय मांगने कॉर्ट गए उद्घोषकों की ड्यूटी लगायें कैट और हाई कोर्ट के माननीय जस्टिस-
आकाशवाणी अधिकारियों का मौखिक फरमान ।
पिछले दिनो आकाशवाणी महानिदेशालय द्वारा केजुअल कम्पीयर और उद्घोषकों की रिस्क्रीनिंग संबंधी आदेश निकाला था जिसके विरोध में देश भर से तमाम केजुअल ने देश के विभिन्न कैट और हाईकोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया था। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस रिस्क्रीनिंग के बाद सबसे पहले इन केजुअल उद्घोषकों और कम्पीयरों का सम्माननीय नाम बदलकर असाईनी किया जाना था व उसके बाद उनसे एक ऐसा ऐग्रीमेंट साईन करवाये जाने का आदेश था जो कि असंवैधानिक और मौलिक अधिकारों के विरुद्ध था।
इस असंवैधानिक आदेश के विरुद्ध तमाम केजुअल ने देश के विभिन्न कैट और हाईकोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया था जिसके बाद प्रसार भारती ने दुर्भावनावश ऐसा मौखिक आदेश जारी कर दिया ।जिससे इन केजुअल की आर्थिक स्थिति खराब हो जाये और वो कोर्ट में न्याय पाने के लिये आर्थिक रूप से सक्षम ही ना रह पायें।
प्रसार भारती के तहत आकाशवाणी महानिदेशालय ने अपने मौखिक आदेश के तहत कोर्ट से स्टे पाये तमाम केजुअल की ड्यूटी को प्रतिबंधित कर दिया है। जब इन केजुअल ने इस बात का विरोध किया तो इनको कहा गया कि आप अपनी ड्यूटी अब कोर्ट से ही लगवा लीजिये, कई अधिकारियों ने तो यहाँ तक कह दिया कि अब आपकी आवश्यकता यहाँ आकाशवाणी को नहीं है आप कोर्ट में ही रहिये। जब विरोध ज्यादा बढ़ गया और कोर्ट के आदेश की अवमानना की बात आ गई तो वरिष्ठ अधिकारियों ने मौखिक आदेश में कहा कि कोर्ट से स्टे प्राप्त केजुअल की सिर्फ इतनी ड्यूटी लगाई जायें जिससे कोर्ट की अवमानना न हो और कोर्ट में हम ये कह सकें कि ड्यूटी लगाई जा रही है
अब इस मौखिक आदेश के बाद देश के कुछ स्टेशनों पर दो तीन महीनों में एक ड्यूटी लगाने की बात की जा रही है जबकि पारंपरिक रूप से एक माह में 6 ड्यूटी इन केजुअल की लगाई जाती रहीं हैं। कुल मिलाकर प्रसार भारती द्वारा न्याय मांगने गये केजुअल की कमर तोड़ने की तैयारी की जा रही है जो कि अन्याय की श्रेणी में आता है।
आगे प्रसार भारती इस बात की तैयारी भी कर रही है कि सभी केजुअल से एक एग्रीमेंट ये साईन करवाया जाये कि न्याय मांगने या अपना हक़ मांगने किसी न्यायालय में नहीं जायेंगे। ऐसा एग्रीमेंट मौलिक अधिकारों का हनन तो है ही साथ साथ ही साथ ये प्रसार भारती के तानाशाहीपूर्ण रवैये को भी दर्शाता है। प्रसार भारती के इस रवैये के कारण देश के लगभग 2000 केजुअल हताहत हुये हैं।
इस विषय पर उद्घोषक हालांकि प्रसारण मंत्री से मिल चुके है और आगामी दिनों में भी उनके साथ री स्क्रीनिंग और नियमितीकरण का हल निकालने के लिये बैठक संभावित है । जहाँ सरकार और मंत्री का केजुअल के प्रति इतना सकारात्मक रवैया है वहीं प्रसार भारती के अधिकारियों का इतना नकारात्मक रवैया समझ से परे है
आल इंडिया रेडियो कैज़ुअल अनाउंसर एंड कंपेयर यूनियन का कहना है कि यदि आकाशवाणी महानिदेशालय ने अपना ये रवैया ठीक नही किया तो उन्हें मजबूर होकर अकाशवाणी महानिदेशक केे घर पर धरना देकर प्रधानमंत्री के संज्ञान में इस प्रताड़ना को लाना पड़ेगा।
ज्ञात हो कि इन कैज़ुअल में से अधिकतर लोगों के रोज़ी रोटी आकाशवाणी के इन अनुबंधों के कारण चल रही है तथापि महीने में अधिकतम 6 ड्यूटी पाने वाले इन केजुअल कर्मियों को प्रताड़ित करना प्रसार भारती की दमन कारी और शोषण वाली नीति ही कही जा सकती है।
आकाशवाणी अनाउन्सर कम्पियर्स की ट्रेड यूनियन का कहना है कि सरकार तत्काल रूप से प्रसार भारती और आकाशवाणी का स्वायत्तता का दर्जा खत्म करे जिस के कारण इन अधिकारियों की निरंकुशता समाप्त हो जो कि इतने निरंकुश हो गये हैं कि ये माननीय कैट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक कि परवाह नही करते।
खेद का विषय है कि देश भर के आकाशवाणी केंद्रों में महिलाओं का उत्पीड़न भी किया जा रहा है जिसकी शिकायतें बार बार उच्च अधिकारियों को की गई लेकिन फिर भी इस पर कोई कार्यवाही नहीं की गई अभी तक आकाशवाणी के अधिकारियों से भयग्रस्त महिलाओं ने जब अपनी आप बीती यूनियन को बताई तो यूनियन ने महिलाओं को भी माननीय मंत्री महोदया से मिलवाने और न्याय दिलवाने का पूर्ण भरोसा दिलाया है।