बाहर हवा की सरसराहट में सर्दी का अहसास और कमानी सभागार में कलाकारों के संगीत रस पर श्रोताओं की गर्म-जोशी का नज़ारा सप्ताहअंत के दौरान खासा नज़र आया तीन दिवसीय 13वें सामापा संगीत समारोह में। शुक्रवार की संध्या से सजी युवा व प्रतिष्ठित कलाकारों की इस महफिल में गायन-वादन से छिड़ा सुर-लय-लय अंततः संतूर लीजेंड पंडित भजन सोपोरी और अनुभवी तबला वादक आनिंदो की जबरदस्त जुगलबंदी के साथ सम्पन्न हुआ। दोनों ही वरिष्ठ कलाकारों के संगीत वादन ने जहां सामापा संगीत समारोह को चरम पर पहुंचाया वहीं इनकी प्रस्तुतियों के अतिरिक्त कला-संस्कृति क्षेत्र में अपने योगदान हेतु सामापा अवार्ड्स और विदूषी मंजू मेहता एवम् पंडित विनायक तोरवी की प्रस्तुति तीसरे दिन की प्रमुख झलकियां रहीं।
पिछले दोनों दिन की तरह कार्यक्रम की शुरूआत स्कूली छात्रों द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुई और एक बार फिर संगीत का शानदार समां श्रोताओं को कायल करता दिखा। दिन की पहली प्रस्तुति विदूषी मंजू मेहता की रही, जिन्होंने राग सरस्वती की विविधायें प्रस्तुत करते हुए अपने सशक्त कला-कौशल का परिचय दिया और उपस्थित दिल्लीवासियों को सितार संगीत लहरियों में खोने पर मजबूर कर दिया। उनके बाद माहौल में गायन रस घोलते हुए पंडित विनायक तोरवी ने राग बागेश्री में एक के बाद एक रचनायें और तिलक कामोद में भजन प्रस्तुत किया और महफिल में घुले संगीत रस की रंगत व मिठास को कहीं अधिक बढ़ा दिया।
सामापा संगीत सम्मेलन की अंतिम प्रस्तुति से पूर्व प्रतिष्ठत सामापा पुरूस्कार भी प्रदान किये गये, जिनमें अनुभवी तबला वादक पं. आनिंदो चटर्जी (कोलकाता) और गायक पंडित विनायक तोरवी (बेंगलुरु) को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनके आजीवन योगदान के लिए ’सामापा वितस्ता पुरस्कार’, अहमदाबाद से सांस्कृतिक संगठन सप्तक को’सामापा कलावर्धन सम्मान’, जिसे प्रसिद्ध सितार वादिका एवम् सप्तक की फाउंडर सदस्य विदूषी मंजु मेहता ने प्राप्त किया, कशमीर के सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के लिए दुनिया के सबसे बड़े जीवित नृविज्ञानशास्त्री में से एक डॉ टी.एन. मदन को ’सामपा नुंद ऋषि सम्मान’, डॉ0 देवदत्त शर्मा (जयपुर) को संगीत समीक्षक और लेखक के रूप में कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने के लिए ‘सामापा आचार्य अभिनव गुप्त सम्मान’, दिया गया।
दिल्ली के सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रमों में से एक के रूप में शुमार इस संगीत समारोह को सूफी कश्मीर घराना के खलीफा व संतूर लीजेंड पंडित भजन सोपोरी ने लोकप्रिय तबला वादक आनिंदो की जबरदस्त जुगलबंदी ने विराम दिया, लेकिन विराम देने से पूर्व जो समां व संगीत लहरियां कमानी सभागार में गूंजी वह देखते सुनते ही बनती थी। सभागार में उपस्थित हर श्रोता संतूर-तबले की जादूई धुनों पर भाव-विभोर नज़र आया। अनवरत जारी तालियों की गड़गड़ाहट और आकाश की ऊँचाईयों तक पहुंचा अहसास कलाकारों की हौंसला अफज़ाई कर रहा था।
समारोह के तीनों ही दिन चाहे युवा कलाकार अपना पदार्पण कर रहे हों या स्थापित कलाकारों का कौशल, एक सुखद व कर्णप्रिय संगीतरस का गुंजायेमान हुआ। जहां एक तरफ युवा भारतीय कला संस्कृति की अपेक्षा मॉडर्न संगीत को तवज्जो देते हैं ऐसे में श्रोतागण में युवाओं की उपस्थिति सकारात्मक थी। युवा कलाकारों की प्रस्तुति में ऊर्जा का प्रवाह व प्रतिभा का जौहर बखूबी देखने को मिला। वहीं वरिष्ठ व स्थापित कलाकारों के सशक्त कला-कौशल का जादू श्रोताओं पर पूर्णतया छाया था।
13वें सामापा संगीत सम्मेलन में पहले दिन युवा कलाकार सैफ नईम अली की ठुमरी, चेतन जोशी की बांसुरी, कलापनी कोमकली का गायन और अभय रूस्तुम सोपोरी का संतूर। दूसरे दिन युवा प्रतिभा दिव्यांश श्रीवास्तव (संतूर), श्री बहाउद्दीन डागर (रूद्र वीणा) के अतिरिक्त पं. विजय शंकर मिश्रा के नेतृत्व में स्वर-लय-संवाद, जिसमें शरबरी बनर्जी व पदमजा चक्रवर्ती का गायन, मनोज मिश्रा व आशीष मिश्रा का तबला और घनश्याम सिसोदिया की सांरगी औरपंडित विद्याधर व्यास (गायन) का गायन शामिल रहा। संगीत कार्यक्रम के अतिरिक्त फेस्टिवल के दौरान जम्मू-कश्मीर के कलाकारों की चित्र प्रदर्शनी भी आयोजित की गई थी, जिसे दर्शकों ने खासा सराहा। सम्मेलन के दूसरे दिन दिये गये अवार्ड्स में;दिये गये अवार्ड्स में इस वर्ष सामापा द्वारा स्थापित किया गया ‘संगीत तेजस्वी सम्मान’ प्रसिद्ध रुद्र वीणा के प्रतिपादक उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर (महाराष्ट्र), प्रसिद्ध बांसुरी वादक चेतन जोशी (दिल्ली) और प्रसिद्ध संगीतकार जसपालमोनी (दिल्ली) को दिया गया। उनके अतिरिक्त हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत (पखावाज) के क्षेत्र में विशिष्ट प्रतिभा और उपलब्धियों की मान्यता के लिए ऋषि शंकर उपाध्याय (दिल्ली) को ’सामापा युवा रतन सम्मान’, कश्मीरी कला, संस्कृति और भाषा में योगदान के लिए डॉ रफ़ीक मसूदी को ’सामपा नुंद ऋषि सम्मान’, शामिल रहे।
सम्मेलन का आयोजन संगीत लीजेंड पंडित भजन सोपोरी एवम् संगीतकार अभय रूस्तुम सोपोरी के नेतृत्व में देश की लोकप्रिय संगीत संस्था सामापा (सोपोरी अकादमी ऑफ म्यूज़िक एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स) द्वारा प्रति वर्ष किया जाता है और यह दिल्ली के सबसे बड़े वार्षिक संगीत महोत्सव में एक के रूप में प्रख्यात संगीत समारोह है। यह एक ऐसा मंच है जहां प्रतिष्ठित व नामचीन कलाकारों के साथ इस मंच पर युवा कलाकारों को भी मौका मिलता है।
मौके पर पंडित भजन सोपोरी ने तीनों ही दिन समारोह में पहुंचने के लिए श्रोताओं का अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि हमने तीनों ही दिन श्रोताओं की सकारात्मक उपस्थिति देखी। यह प्रतिक्रिया ही हमें पिछले 13 वर्षां में विभिन्न कार्यक्रमों, प्रस्तुतियों के लिए प्रोत्साहित करती रही है और सामापा के माध्यम से हम नये आयाम भी कायम कर रहे हैं। आगे भी हम कोशिश करेंगे की युवा और वरिष्ठ कलाकारों के श्रोताओं के बीच अच्छे कार्यक्रम लायें।