दिव्यांश का सशक्त कला-कौशल ने सभी को किया प्रभावित
नई दिल्ली, 25 नवम्बर 2017; राजधानी के कमानी सभागार में शुक्रवार से शुरू हुए तीन दिवसीय 13वें सामापा संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन भी स्वर-लहरियां जमकर बरसी। सुर-लय-ताल से सजी इस संगीत संध्या में युवा कलाकार दिव्यांश श्रीवास्तव के संतूर, वरिष्ठ कलाकार बहाउद्दीन डागर की रूद्र वीणा, और पंडित विद्याधर व्यास के गायन सहित पंडित विजय शंकर मिश्रा के नेतृत्व में स्वर-लय-संवाद ने खूब वाह-वाही लूटी।
कार्यक्रम की शुरूआत छात्रों द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वन्दना से हुई, जिसके बाद दिव्यांश श्रीवास्तव ने राग कौशिक रंजनी में साढ़े दस मात्रा में गत, उसके बाद अति द्रुत तीन ताल प्रस्तुत कर अपने संतूर रस से उपस्थित श्रोताओं को सराबोर किया। दिव्यांश का सशक्त कला-कौशल ने सभी को प्रभावित किया और कमानी सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। दूसरे दिन की दूसरी प्रस्तुति रूद्र वीणा पर बहाउद्दीन डागर की रही। उन्होंने राग नंद कौंस का प्रस्तुत करते हुए संगीत स्वर-लहरियों को आगे बढ़ाया। इसके बाद पं. विजय शंकर मिश्रा के नेतृत्व में स्वर-लय-संवाद का आयोजन हुआ जिसमें शरबरी बनर्जी व पदमजा चक्रवर्ती के गायन, मनोज मिश्रा व आशीष मिश्रा के तबला और घनश्याम सिसोदिया की सांरगी ने एक अलग ही अंदाज में सर्द शाम के दौरान महौल बनाया। इस प्रस्तुति में राग पूरिया कल्याण में दो रचनाये और राग हंस ध्वनि में दो रचनायें थी, जो रूपक व तीन ताल में थी। इस प्रस्तुति की खास बात यह रही कि चारों कलाकारों की बराबर भागीदारी के साथ संवाद हुआ, जो अपने आप में देखते सुनते बनता था। कार्यक्रम के दूसरे दिन की अंतिम प्रस्तुति पंडित विद्याधर व्यास (गायन) की रही। उन्होंने राग गौरख कल्याण में विलम्बित बड़ा खयाल ‘धन धन भाग गोरी तोरे’, मध्य लय तीन ताल में दु्रत रचना ‘पायलिया छुन छनन’, एक तराना, राग दुर्गा में जप ताल की बंदिश ‘सखी मोरी’, सहित एक नया राग भवानी प्रस्तुत किया।
सामापा संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिष्ठित सामापा पुरूस्कार भी दिये गये। दूसरे दिन दिये गये अवार्ड्स में इस वर्ष सामापा द्वारा स्थापित किया गया ‘संगीत तेजस्वी सम्मान’ प्रसिद्ध रुद्र वीणा के प्रतिपादक उस्ताद मोही बहाउद्दीन डागर (महाराष्ट्र), प्रसिद्ध बांसुरी वादक चेतन जोशी (दिल्ली) और प्रसिद्ध संगीतकार जसपालमोनी (दिल्ली) को दिया गया। उनके अतिरिक्त हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत (पखावाज) के क्षेत्र में विशिष्ट प्रतिभा और उपलब्धियों की मान्यता के लिए ऋषि शंकर उपाध्याय (दिल्ली) को ’सामापा युवा रतन सम्मान’, कश्मीरी कला, संस्कृति और भाषा में योगदान के लिए डॉ रफ़ीक मसूदी को ’सामपा नुंद ऋषि सम्मान’, शामिल रहे।
सम्मेलन के तीसरे व अंतिम दिन अनुभवी तबला वादक पं. आनिंदो चटर्जी (कोलकाता) और गायक पंडित विनायक तोरवी (बेंगलुरु) को हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत में उनके आजीवन योगदान के लिए ’सामापा वितस्ता पुरस्कार’, अहमदाबाद से सांस्कृतिक संगठन सप्तक को’सामापा कलावर्धन सम्मान’, जिसे प्रसिद्ध सितार वादिका एवम् सप्तक की फाउंडर सदस्य विदूषी मंजु मेहता ने प्राप्त किया, कशमीर के सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास में योगदान के लिए दुनिया के सबसे बड़े जीवित नृविज्ञानशास्त्री में से एक डॉ टी.एन. मदन को ’सामपा नुंद ऋषि सम्मान’, डॉ0 देवदत्त शर्मा (जयपुर) को संगीत समीक्षक और लेखक के रूप में कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान देने के लिए ‘सामापा आचार्य अभिनव गुप्त सम्मान’, दिया जायेगा। रविवार को सम्मेलन के तीसरे व अंतिम दिन विदूषी मंजू मेहता (सितार), पंडित विनायक तोर्वी (गायन) और पंडित भजन सोपोरी (संतूर) के कार्यक्रम 13वें सामापा संगीत सम्मेलन का समापन करेंगे।
मौके पर संतूर वादक व संगीतकार अभय रूस्तुम सोपोरी ने कहा कि पहले दिन बहुत ही अच्छा रिस्पांस हमें मिला और आज भी खासा रूझान देख रहे हैं। श्रोताओं की भागीदारी और संगीत के प्रति उनका ऐसा रिस्पांस हमें प्रोत्साहित करता है लगातार और व्यापक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करते हुए युवा व वरिष्ठ कलाकारों के कला-कौशल ने उन्हें रूबरू करायें।