नगालैंड में 60 विधानसभा सीटों के लिए आज मतदान हुआ
नगालैंड में 60 विधानसभा सीटों के लिए आज मतदान हुआ। और पिछले कुछ सालों से नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) का दबदबा रहा है। लेकिन इस बार यहां के चुनाव को राजनीतिक पार्टियों के दोस्ताना जंग के रूप में देखा जा रहा है। क्योंकि इस बार बीजेपी यहां नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. दरअसल, 2016 में हुए नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलायंस के तहत बीजेपी तो नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के साथ सरकार में पहले से ही है। लेकिन नगालैंड चुनाव में एनपीएफ की प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री नेइफियू रिओ की पार्टी एनडीपीपी के साथ गठबंधन में भी है। ऐसे में यदि सरकार किसी की भी बनती है तो फायदा सीधे-सीधे बीजेपी को मिलेगा। एनीपीएफ पिछले एक दशक में (पहले रियो और फिर जेलिआंग) बीजेपी के साथ सत्ता में है और केंद्र में एनडीए सरकार में शामिल है। दिलचस्प बात तो यह है कि बीजेपी का साथ छोड़ने के बावजूद जेलिआंग ने अब तक नगालैंड केंद्र सरकार से अपने मंत्रियों को नहीं हटाया है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर से बचने और एक प्रबल चेहरे के साथ सत्ता में वापस आने के लिए एनडीपीपी के साथ गठबंधन किया। वहीं दूसरी वजह यह भी है कि बीजेपी यह दर्शाने की कोशिश कर रही है कि दशकों से चली आ रही नागा समस्या का पीएम मोदी ही समाधान कर सकते हैं। कहा जाता है कि एनडीपीपी के नेइफियू रिओ को प्रधानमंत्री मोदी नगालैंड के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक मानते हैं। उनके पास राजनीतिक अनुभव अच्छा ख़ासा है। वे साल 2003 से 2014 तक लगातार तीन बार नगालैंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। ऐसे में बीजेपी को व्यक्तिगत उम्मीदवारों से फायदा होता दिख रहा है।