अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (23 मार्च) को चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर का टैरिफ लगाया. उन्होंने अमेरिका की बौद्धिक संपदा को‘ अनुचित’ तरीके से जब्त करने को लेकर बीजिंग को दंडित करने के लिए यह कदम उठाया है. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस कदम से दोनों देशों के बीच जारी तनाव के और अधिक बढ़ने की आशंका है. बौद्धिक संपदा की चोरी के मामले की सात माह की जांच के बाद ट्रंप ने अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर का टैरिफ लागू करने को कहा है. ट्रंप ने कहा, ‘‘हमें बौद्धिक संपदा की चोरी की बहुत बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. यह हमें अधिक मजबूत, अधिक संपन्न देश बनाएगा.’’इस शुल्क के अलावा अमेरिका ने चीन पर नए निवेश प्रतिबंध लगाने की भी योजना बनाई है. इसके साथ ही विश्व व्यापार संगठन और राजस्व विभाग भी चीन पर अतिरिक्त कदम उठाएगा. ट्रंप ने गुरुवार को 1974 के व्यापार अधिनियम की धारा 301 के हवाला देकर एक मेमो पर हस्ताक्षर किए. चीन ने एक बयान जारी कर कहा है कि वह अमेरिका से चीन में पहुंचने वाले यूएस पोर्क, रिसाइकल्ड अल्युमीनियम, स्टील पाइप्स, फल और वाइन पर टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है. चीन के वाणिज्य मंत्रायल ने शुक्रवार को इसको लेकर बयान जारी किया है.यही नहीं, चीन ने कहा है कि वह यूएस प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लगाने के खिलाफ कानूनी लड़ाई भी लड़ेगा. उसने कहा है कि वह विश्व व्यापार संगठन (WTO) में यूएस के टैरिफ लगाए जाने का मुद्दा उठाएगा. इसके साथ ही चीन ने अमेरिका से कहा है कि इस ट्रेड वॉर को खत्म करने के लिए संवाद होना चाहिए.
चीन की यह प्रतिक्रिया ट्रंप के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें उन्होंने यूएस ट्रेड प्रतिनिधि रॉबर्ट लाइथिजर को चीन से होने वाले 50 अरब डॉलर के आयात पर टैरिफ लगाने का निर्देश दिया. यह टैरिफ उन ड्यूटी के अलावा है, जो ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में चीन समेत अन्य देशों से आने वाले मेटल पर लगाया था.
चीन की प्रतिक्रिया आने के बाद ट्रेड वॉर का माहौल तैयार हो गया है. इसकी वजह से न सिर्फ यूएस शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली है. एशियाई बाजार भी इसके चलते धड़ाम हुए हैं.