नई दिल्ली : आधार कार्ड के लिए बायोमीट्रिक्स को लेकर केंद्रीय मंत्री के. जे अलफोंस ने एक बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि वीजा के लिए लोग नंगे हो जाते हैं, लेकिन आधार के लिए बॉयमीट्रिक्स देने में हल्ला मचा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पिछले सालों में भारत में किसी भी आधार उपभोक्ता के बॉयोमीट्रिक्स डाटा के लीक होने का मामला सामने नहीं आया है.
केंद्रीय पर्यटन तथा सूचना व प्रौद्योगिकी मंत्री के. जे. अलफोंस ने ये बातें कोच्चि में फ्यूचर ग्लोबल डिजिटल समिट के दौरान कहीं. अलफोंस ने कहा, ‘आधार में महज नाम और पता दिया जा रहा है. आपका बायोमेट्रिक डाटा यूआईडीएआई के पास है और मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि इसे बिना आपकी इजाजत के सार्वजनिक नहीं किया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि भारत सरकार लोगों के डाटा की हिफाज़त कर रही है और यह इसलिए संभव हो रहा है क्योकि इसके लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है और उन तकनीकों को समय-समय पर अपग्रेड किया जाता है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बयान दिया था कि प्रधानमंत्री आधार का डाटा किसी निजी कंपनी को देने जा रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा, ‘आप सोचते हैं कि प्रधानमंत्री आपके डाटा को किसी निजी कंपनी को देने जा रहे हैं. इस तरह की झूठी कहानियों पर विश्वास न करें.’
आधार के लिए बायोमेट्रिक देने पर आनाकानी करने वाले लोगों पर कटाक्ष करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘मैं अमेरिका का वीजा लेने के लिए 10 पेजों का फार्म भरता हूं. हमें वीजा के लिए अपने फिंगर प्रिंट्स देने और अग्रेजों के सामने नंगे होने में भी कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन भारत सरकार जो कि आपकी अपनी सरकार है, आपसे आपका नाम और पता पूछती है तो यह सभी को अपनी निजता पर अतिक्रमण लगता है. मतलब हम कहां तक जा सकते हैं? अब इस पर सुप्रीम कोर्ट को ही फैसला लेने दो.’आपको बता दें कि कई लोक कल्याणकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. जिसपर शीर्ष अदालत में सुनवाई हो रही है.
केंद्रीय मंत्री अल्फोंस ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के उन आरोपों को झूठ का पुलिंदा बताया जिसमें उन्होंने कहा है कि प्रधानमंत्री के आधिकारिक एप से यूजर की सहमति के बिना डेटा को साझा किया जा रहा.
मंत्री ने कहा, ”यह पूरी तरह फर्जी (फेक) खबर है जिसे राहुल गांधी और उनके साथी फैला रहे हैं.”