नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (13 अप्रैल) को एक वकील से कहा कि जम्मू क्षेत्र के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में कठुआ और जम्मू-कश्मीर बार इकाइयों द्वारा बुलाई गई हड़ताल के संबंध में वह सारे तथ्य रिकॉर्ड पर लाएं ताकि उसमें न्यायिक स्वत: संज्ञान लिया जा सके. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ ने वकील पी. वी. दिनेश से बार इकाइयों की गतिविधियों पर कुछ सामग्री मुहैया कराने के लिए कहा ताकि वह हड़ताल के मामले में स्वत: न्यायिक संज्ञान ले सके.
कठुआ गैंगरेप मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लेटर पेटिशन पर संज्ञान लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया, जम्मू कश्मीर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, बार कॉउंसिल ऑफ जम्मू कश्मीर और कठुआ जिला बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. CJI ने साफ कहा कि कानून में ये तय है कि कोई भी वकील या एसोसिएशन किसी भी वकील को केस में पीड़ित या आरोपी के लिए पेश होने से नहीं रोक सकते. अगर वकील अपने क्लाइंट का केस स्वीकार करता है तो उसकी जिम्मेदारी है कि वो उसके लिए पेश हो. अगर उसको रोका जाता है तो फिर ये कानूनी प्रक्रिया में रुकावट और कानून पाने में बाधा माना जाएगा. इस मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी.