पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाली नलिनी की याचिका पर 27 अप्रैल को फैसला सुनाया जायेगा.
राजीव गांधी हत्या कांड में उम्र कैद की सजा पाने वाली नलिनी की समय से पहले रिहाई की याचिका शुक्रवार (27 अप्रैल) को मद्रास उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी. इसी सप्ताह के शुरूआत में अदालत ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा पाने वाली नलिनी की याचिका पर 27 अप्रैल को फैसला सुनाया जायेगा. 24 अप्रैल को न्यायमूर्ति आर सुब्रमण्यम और केके शशिधरन की खंडपीठ ने नलिनी की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
बता दें, राज्य सरकार की एक योजना के तहत अनुच्छेद 161 (क्षमादान देने के लिए राज्यपाल की शक्तियों) के अनुसार नलिनी ने समय पूर्व रिहाई के लिए अदालत में अनुरोध किया था. जिसके बाद यह अनुरोध अस्वीकार हो गया था. फिर नलिनी ने इस आदेश को चुनौती दी थी. राज्य सरकार की योजना अनुच्छेद 161 के तहत 22 फरवरी 2014 को नलिनी ने समय से पूर्व रिहाई की मांग की थी और बाद में अदालत का रुख किया था.
उस समय उच्चतम न्यायालय में इसी तरह का एक मामला लंबित रहने का हवाला देते हुये राज्य सरकार ने इसका विरोध किया था. इसके बाद एकल पीठ ने उससे इस प्रतिवेदन पर विचार करने के लिए कहा था. मार्च 2016 में उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश में साफ किया कि सीआरपीसी की धारा 435 के तहत समय पूर्व रिहाई केन्द्र की सहमति हो से होगी क्योंकि मामलों की जांच सीबीआई जैसी केन्द्रीय एजेंसी ने की थी.
एकल पीठ के आदेश को मानते हुए खंडपीठ ने कहा कि नलिनी से उच्चतम न्यायालय में लंबित मामले पर फैसला आने तक इंतजार करना होगा. इसके साथ ही अदालत ने उसकी अपील खारिज कर दी. खंडपीठ के समक्ष बहस के दौरान नलिनी के वकील राधाकृष्णन ने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के आदेश का इस मामले से कोई संबंध नहीं है क्योकि उनकी मुवक्किल ने अनुच्छेद 161 के तहत समय पूर्व रिहाई की मांग की है. नलिनी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रही है.