बेंगलूरू: कर्नाटक में श्रीराम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक ने पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या की तुलना कुत्ते की मौत से करके एक नए विवाद को जन्म दिया है. हालांकि बाद में उन्होंने अपने बयान पर सफाई भी दी.
प्रमोद मुतालिक ने कहा, ‘गौरी लंकेश की हत्या में श्रीराम सेना की कोई भूमिका नहीं है. हर कोई यही कह रहा है कि गौरी लंकेश की हत्या में हिंदू संगठनों का हाथ है. महाराष्ट्र में दो हत्याएं और कर्नाटक में दो हत्याएं कांग्रेस के समय हुई हैं. लेकिन कोई भी कांग्रेस की विफलता की बात नहीं कर रहा. इसकी जगह यह कहा जा रहा है कि पीएम मोदी इस पर चुप क्यों हैं? अब इस पर पीएम मोदी क्यों प्रतिक्रिया दें? क्या आप चाहते हैं कि कर्नाटक में हर कुत्ते की मौत पर मोदी कोई प्रतिक्रिया दें?
चर्चित कन्नड़ सप्ताहिक ‘लंकेश पत्रिके’ की संपादक गौरा लंकेश की पिछले साल पांच सितंबर को बेंगलुरू स्थित उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद देश भर में पत्रकार संगठनों ने विरोध प्रदर्शन किया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बयान देने की मांग की थी. वहीं तर्कवादी डॉक्टर एमएम कलबुर्गी की हत्या कर्नाटक के धारवाड़ में 30 अगस्त 2015 को कर दी गई थी. इसी तरह महाराष्ट्र में तर्कशास्त्री गोविंद पानसरे और नरेंद्र दोभालकर की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी.
ध्यान रहे की गौरी लंकेश की हत्या की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने मामले में श्रीराम सेना के विजयपुरा जिला अध्यक्ष राकेश मथ को पूछताछ के लिए सम्मन भेजा है. पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एसआईटी ने मथ से पूछताछ करने का निर्णय किया है क्योंकि गौरी को गोली मारने वाला संदिग्ध परशुराम वाघमारे इसी हिंदुत्ववादी संगठन का सक्रिय सदस्य है. एसआईटी में शामिल इस अधिकारी ने बताया कि वह इस बात का पता लगाना चाहते हैं कि गौरी की नृशंस हत्या में कहीं मथ का भी तो हाथ नहीं है या इस साजिश में शामिल होने के लिए उन्होंने वाघमारे का ‘‘ब्रेनवाश’’ तो नहीं किया है.
श्रीराम सेना के संस्थापक अध्यक्ष प्रमोद मुतालिक ने खुद को और अपने संगठन को वाघमारे और गौरी की हत्या से अलग कर लिया है. मुतालिक ने कहा , ‘‘श्रीराम सेना और वाघमारे के बीच कोई संबंध नहीं है. वह न तो हमारा सदस्य है और न ही हमारा कार्यकर्ता है. यह मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूं.’’