नई दिल्ली : आतंकवादी समूहों के वित्तपोषण को रोकने में नाकाम पाकिस्तान को एफटीएफ ने ग्रे लिस्ट में डालने का फैसला लिया है. एफटीएफ के फैसले के बाद भारत ने इसका स्वागत किया है. इसके साथ ही भारत ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान से पनपने वाले आतंकवाद को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जताई जा रही चिंता के समाधान के लिए अब वह कुछ विश्वसनीय कदम उठाएगा. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने दो दिन पहले पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया था. वैश्विक प्रहरी संस्था द्वारा सुझाई गई कार्य योजना को लेकर भारत ने उम्मीद जताई है कि पाकिस्तान समयबद्ध तरीके से इसका पालन करेगा.
वैसे तो पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने हाफिज सईद की राजनीतिक पार्टी मिल्ली मुस्लिम लीग को रजिस्टर्ड पार्टी का दर्जा देने से इनकार कर दिया है, लेकिन ये तो सिर्फ दिखावा था. इसमें कोई संदेह नहीं. 13 जून को पाकिस्तान के चुनाव आयोग के सामने मिल्ली मुस्लिम लीग की अपील ठुकरायी गई तो 14 जून को ऐलान हो गया कि हाफिज सईद पहले से चुनाव आयोग में रजिस्टर्ड अल्लाह-ओ-अकबर तहरीक यानी AAT पार्टी से अपने 202 उम्मीदवारों को 25 जुलाई के चुनाव में उतारेगा. हाफिज सईद तो हाफिज सईद बल्कि दूसरे आतंकी भी पाकिस्तान में नेता बन चुके हैं. चरमपंथी सुन्नी गुट अहले-सुन्नत-वल-जमात के प्रमुख मुहम्मद अहमद लुधियानवी को टेरर वॉच लिस्ट से हटा दिया गया है. जबकि लुधियानवी के संगठन का संबंध खूंखार आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-झांगवी से है. उस लश्कर-ए-झांगवी से जिसके अलकायदा से संबंध हैं.
पाकिस्तान की इन्हीं हरकतों की वजह से एफएटीएफ ने तो उसे ग्रे लिस्ट में डाला ही है, अमेरिका भी साफ चेतावनी दे रहा है कि उसके आतंक का घड़ा अब भर रहा है. इसी साल जनवरी में अमेरिका ने पाकिस्तान को मिलने वाली करीब सवा बिलियन अमेरिकी डॉलर की मदद रोक दी थी, क्योंकि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने में वो नाकाम रहा था.
क्या है एफएटीएफ?
एफएटीएफ एक अंतर सरकारी संगठन है. इसे जी-7 देशों की पहल पर 1989 में गठित किया गया था. गठन के समय इसके सदस्य देशों की संख्या 16 थी. 2016 में ये संख्या 37 हो गई. इस संस्था का एक सदस्य भारत भी है. ये संगठन आतंकी संगठनों का वित्त पोषण की निगरानी करता है.