लोक सभा चुनावों में भाजपा के प्रचंड बहुमत के बाद एक बार फिर से साफ हो गया है कि एनडीए की यह सरकार विपक्ष की रोक टोक के बगैर एक बार फिर बड़े फैसले करने में सक्षम होगी. इस बड़ी जीत के मायने इस लिए और बढ़ जाते है क्योंकि सरकार ने पिछली सरकार में कुछ नीतिगत के साथ संस्थागत सुधारों के बड़े फैसले लेकर अपने मंसूबे दिखा दिये थे. इस बार और बड़ा जनादेश आने से ऐसे बड़े फैसलों को और बल मिला है. अगर हम ध्यान से देखे तो पिछली सरकार के वक्त प्रधानमंत्री मोदी ने सरकार में आने के तुरंत बाद ही ब्रिटिश जमाने के चले आ रहे कई कानूनो को हटा कर अपने मंसूबे दिखा दिेए थे. इसके बाद पूर्ण बहुमत की सरकार की हनक दिखाते हुए ‘नोटबंदी’ और ‘जीएसटी’ जैसे बड़े फैसले लिए.
इस बार यह बड़ा मेन्डेट भाजपा सरकार के लिए और भी बड़ी जिम्मेदारियां लेकर आई है. इस बार सरकार को न सिर्फ ‘धारा 370′ और ’35 ए’ के हटाने के लिए बड़े फैसले लेने होंगे बल्कि पूर्वोत्तर पर फैले विवाद के वाबजूद ‘एनआरसी’ पर भी फैसला लेना होगा.
धारा 370 पर विवाद को अगर हम ध्यान से देखते हैं तो पता चलता है कि जंहा एक तरफ कांग्रेसनीत केंद्र सरकार ने इसे आस्थाई तौर पर लागू करने की बात कही थी तो दूसरी तऱफ यही पार्टी सरकार में रहते हुए आजादी के 70 साल बाद भी इसे संरक्षण दिए हुए है.
आने वाली इस भाजपा सरकार के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती होगी कि वह अपने चुनावी एजेंडे पर अमल करते हुए समग्र देश को एक ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की नीति के तहत समान संहिताएं लागू करे.
‘धारा 370’ मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती !
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