Thursday, November 21, 2024
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RJS Media:- हार्ट केयर फांउडेषन ने एसडी विद्या स्कूल के 500 बच्चों को सीपीआर एवं अन्य स्वास्थ्य तकनीकों पर प्रषिक्षण दिया

नई दिल्ली, 13 दिसम्बर : भारत के अग्रणी स्वयंसेवी संगठन हार्ट केयर फाउंडेषन द्वारा हाल ही में आयोजित किए गए एक कार्यक्रम में विभिन्न स्वास्थ्य मानकों को लेकर स्कूल के विद्यार्थियों को जागरूक किया गया। नोएडा के एसडी विद्या स्कूल के 500 से अधिक बच्चों को हायजिन, पॉल्यूषन, सीपीआर एवं चोकिंग से किसी को बचाने पर प्रषिक्षण दिया गया।

इस अवसर पर जाने-माने उद्योगपति श्री ब्रज सोनी विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उल्लेखनीय है कि एचसीएफआई नियमित रूप से स्वास्थ्य के क्षैत्र में सकारात्मक बदलावों के लिए इस तरह के जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है। एचसीएफआई का मानना है कि इस उम्र के बच्चों को शारीरिक एवं मानसिक रूप से बेहतर नागरिक बनाया जा सकता है।

इस अवसर पर संबोधित करते हुए पद्म श्री अवार्डी एवं एचसीएफआई तथा सीएमएएओ के अध्यक्ष डॉ. के के अग्रवाल ने कहा कि पेरेन्ट्स अपने बच्चों की करीब 20 वर्ष तक बिना किसी सवाल या अवरोध के आपका पालन-पोषण करते हैं। इसलिए बच्चों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने पेरेंट्स की उनके रिटायरमेंट के बाद देखभाल करें और उनके दिल की खास चिंता करें। मजबूत चरित्र के बिना शिक्षा ठीक वैसी ही है जैसे बिना केप्टन के जहाज। अच्छी शिक्षा तब ही सफल है, जब इसमें वे मूल्य शामिल हों जो एक अच्छे जीवन के लिए जरूरी हैं। शिक्षा और कौशल किसी व्यक्ति की सफलता के लिए आवश्यक हैं, किन्तु बिना चरित्र या गुणों के वह व्यक्ति अधूरा है। और जब आप इसमें स्वास्थ्य शिक्षा को जोड़ देते हैं तो आप बच्चे को किसी भी घटना के लिए तैयार रहने को तैयार करते हैं।

Padma Shri Awardee and HCFI and CMAAO President Dr. KK Aggarwal

 

उद्योगपति श्री ब्रज सोनी ने बताया कि स्कूल सिर्फ शिक्षा प्रदान करने के केन्द्र नहीं हैं, बल्कि यहा व्यक्तित्व का निर्माण होता है। यह बच्चे के समग्र विकास पर अपना प्रभाव डालते हैं। बड़े होने पर स्वस्थ जीवनशैली जीने के लिए आवश्यक है कि आप बचपन से ही हायजीन सहित अन्य स्वास्थ्य आदतों को नियमित जीवन में शामिल करें। इन आदतों के साथ ही आपका सारा जीवन व्यतीत होगा। बच्चे स्वाभाविक रूप से उत्सुक एवं सीखने को आतुर रहते हैं। इसलिए वे यदि किसी स्वास्थ्य संबंधी गतिविधि के भागदार बनते हैं तो यह उनके परिवार में भी बदलाव लाने वाली होती है।

माता-पिता को उपहार की तरह दिए जा सकने वाले सात महत्वपूर्ण बिन्दु जो बच्चों से चर्चा में लिए गए, वे इस प्रकार हैं।
वेक्सीनेशन कराएं, बड़ों को भी वेक्सीनेशन की जरूरत होती है। हमारे माता-पिता ने हमारे बचपन में यह सुनिश्चित किया कि हमारे टीके (वेक्सीन) समय पर लगें। अब हमारा दायित्व  है कि उनके वेक्सीन समय पर लगें खासकर निमोनिया और फ्लू के। वार्षिक रूप से फ्लू के लिए किया गया वेक्सीनेशन हमें हार्ट अटैक और पेरालिसिस से बचाता है। साथ ही हमें उन्हें हर्पिस जोस्टर का वेक्सीनेशन भी देना चाहिए।

हमें उन्हें उम्र के साथ होने वाली हार्ट एवं स्ट्रोक सबंधी समस्याओं से सुरक्षित करना चाहिए। हमें जीवनभर उनका हेल्थ इंश्योरेंस करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि इसमें सभी टर्मिनल बीमारियां कवर हों। याद रखें कि ज्यादातर कार्डियेक बीमारियों का उपचार बहुत महंगा होता है।
50 वर्ष की उम्र के बाद लोगों में ऑस्टियोपोरोसिस और गिरने की संभावना बढ़ जाती है। कूल्हे के फ्रेक्चर से मृत्युदर अधिक होती है। हमें उन्हें नियमित रूप से विटामीन डी और केल्शियम देना चाहिए, इससे दिल के दौरे की संभावना में भी कमी आती है।
हमें उन्हें नियमित रूप से विटामीन बी 12 देकर उनकी उम्र के साथ होने वाली मेमोरी सबंधी समस्याओं का ध्यान रखना चाहिए। मेमोरी लॉस की समस्या से हायपरटेंशन, डायबटिज एवं हार्ट डिसिज की समस्या बढ़ती है।

50 की उम्र के बाद व्यक्ति की किडनी की कार्यप्रणाली में एक प्रतिशत प्रतिवर्ष की कमी आने लगती है। हमें इस बात का ख्याल करना चाहिए कि उनके द्वारा ली जाने वाली दवाओं का किडनी की कार्यप्रणाली से सामंजस्य रहे। यदि उन्हें किडनी की समस्या है तो हार्ट की समस्या से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
50 वर्ष की उम्र के बाद अचानक मृत्यु भी आम है। इसलिए परिवार में एक व्यक्ति को सीपीआर सीखना चाहिए। यदि यह समय पर दे दिया जाए तो कार्डियक अरेस्ट के दस मिनिट के भीतर सीपीआर से जान बचाई जा सकती है।

मृत्यु के दस मिनिट के भीतर जितनी जल्दी हो उतना बेहतर, अगले दस मिनिट तक, जितनी देर हो उतना बेहतर, छाती के बीच में दबाएं 100 बार प्रति मिनिट की गति से।
हमें बिना हार्ट अटैक के 80 वर्ष की उम्र तक जीने के लिए फार्मूला 80 याद रखना चाहिए। हमें उनका लोअर बीपी, फास्टिंग शुगर, हार्ट रेट, बेड एलडीएल, कॉलेस्ट्रॉल एवं मोटापे को 80 से कम रखना चाहिए। इसे बनाए रखने के लिए चाहिए कि प्रतिदिन 80 मिनिट पैदल चला जाए। जिसमें प्रति मिनिट 80 स्टेप्स लिए जाएं। एक सप्ताह में 80 मिनिट ब्रिस्क वॉक हो। एक बार में 80 एमएल से कम लिक्विड या सॉलिड लिया जाए। एक दिन में 80 प्राणायाम करें। साल भर में 80 बार धूप की रोशनी लें। शराब ना पीएं और यदि पीते हैं तो एक दिन में 80 एमएल और एक सप्ताह में 80 ग्राम से कम हो। यदि हार्ट डिसिज है तो डॉक्टर से सलाह लेकर 80 एमजी एस्प्रिन और 80 एमजी स्टेन लें। यदि उन्हें स्टंट डलवाने या बायपास सर्जरी की आवश्यकता है तो सुनिश्चित करें कि ऐसा तभी हो जब हार्ट ब्लॉकेज 80 प्रतिशत से अधिक हो।

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