केंद्र सरकार द्वारा विज्ञान एवं प्रद्योगिकी विभाग द्वारा भारतीय प्रवासी शोधकर्ताओं को देश के उच्च शिक्षण संस्थानों से जोड़ने के लिये वैभव फैलोशिप नाम से कार्यक्रम चलाया जा रहा है । जिसमें दुनियाभर के प्रवासी भारतीय भाग लेते हैं |
23 जनवरी 2024 को महिका कॉन्फ्रेंस हॉल, पृथ्वी भवन, दिल्ली में वैभव फैलोशिप के परिणामों की घोषणा के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया |
इस कार्यक्रम में विभाग से जुड़े उच्च पदस्थ अधिकारी एवं देश भर से आये हुए प्रतिष्ठित महानुभावों ने भाग लिया | कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ जितेंद्र सिंह (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार), डॉ वी.के. सारस्वत (सदस्य विज्ञान, नीति आयोग), प्रोफेसर ए.के. सूद (प्रिन्सिपल साइंटिफिक एडवाइजर), प्रोफेसर अभय करंदीकर (सचिव, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग), डॉ एस.के. वार्ष्णेय (एडवाइजर & हेड इंटरनेशनल कॉपरेशन, डीएसटी) मौजूद रहे।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘ वैभव फैलोशिप भारतीय प्रवासी शोधकर्ताओं को भारत में एक शोध संस्थान या शैक्षणिक संस्थान के साथ कार्य करने का अवसर प्रदान करती है। जिससे भारत के उच्च शिक्षा एवं वैज्ञानिक संस्थानों के अनुसंधान की गुणवत्ता बढ़ेगी साथ ही टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता एक कदम है’ |
आपको बता दें कि वैभव फैलोशिप के माध्यम से भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों के अनुसंधान पारिस्थितिकी तंत्र में तेजी से विकास होगा । साथ ही भारतीय संस्थानों एवं विश्व के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों के बीच शैक्षणिक तथा अनुसंधान सहयोग की सुविधा भी मिलेगी । इस फैलोशिप की अवधि तीन वर्ष होती है, जिसमें सरकार शोधकर्ताओं को पूरी अवधि के लिये 37 लाख रुपये तक की राशि की प्रदान करती है।
इस कार्यक्रम के समापन समारोह में डॉ एस. के वार्ष्णेय (सलाहकार एवं प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, DST) ने वैभव फैलोशिप योजना को देश में उच्च शिक्षा के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण बताया साथ ही इस कार्यक्रम को सफल बनाने लिए उपस्थित गणमान्य महानुभावों का हृदय से धन्यवाद किया ।
दिल्ली में विज्ञान एवं प्रद्योगिकी विभाग द्वारा वैभव फैलोशिप के परिणामों की घोषणा की गई
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